बिहार में अब महंगी हो जाएगी जमीन की रजिस्ट्री? निबंधन कार्यालयों के पास पहुंचा नया ऑर्डर

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पटना। जमीन का एमवीआर (न्यूनतम मूल्यांकन पंजी) बढ़ाया जा सकता है। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। निबंधन कार्यालयों को इसकी तैयारी का निर्देश दिया गया है। अगर ऐसा हुआ तो जमीन की रजिस्ट्री महंगी हो जाएगी।

अभी जमीन की श्रेणियों के आधार पर जिलों में एमवीआर (मिनिमम वैल्यू रजिस्टर) तय है, लेकिन अब आने वाले समय में यह सब बदल सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2013 एवं शहरी क्षेत्रों में 2016 में एमवीआर बढ़ाया गया था।

इस तरह से ग्रामीण इलाके में 11 जबकि शहरी इलाके में आठ साल से उसी एमवीआर पर जमीन की रजिस्ट्री होती आ रही है।

जमीन की श्रेणियों में हो सकता है बदलाव

जिलों में धनखर, एक और दो फसली, विकासशील, भीठ, कृषि योग्य, व्यावसायिक और आवासीय श्रेणी में जमीन के अलग-अलग प्रकार हैं। औसतन यह आठ से 15 श्रेणी में हैं तो कुछ जिलों में इसकी 57 श्रेणिया हैं।

इसी आधार पर एमवीआर भी तय है। जमीन की किस्मों में भी एकरूपता लाने की चर्चा है। तब सभी जिलों में जमीन का वर्गीकरण एक जैसा ही होगा। इसके पीछे राजस्व बढ़ाने का भी उद्देश्य है। पिछले वर्ष भी इसकी प्रक्रिया शुरू की गई थी, हालांकि वह लागू नहीं हो सका।

बिचौलियों की सक्रियता कम होगी

जमीन के वर्गीकरण में समानता से बिचौलियों की सक्रियता कम होगी। राजधानी में सड़कों की श्रेणी के हिसाब से जमीन की श्रेणियां निर्धारित होंगी। इसमें व्यावसायिक, आवासीय और औद्योगिक तो ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और बंजर श्रेणियां रह जाएंगी।

उसके बाद उसी अनुसार, जमीन का निबंधन होगा। कुछ जिलों में मुख्य सड़क, प्रधान सड़क तथा शाखा सड़क के हिसाब से सर्किल रेट तय होती है। कुछ जिलों में सड़कों की चौड़ाई के आधार पर इनका निर्धारण होता है।

राज्य सरकार भूमि विवाद कम करने के लिए वर्तमान में सर्वे करा रही है। पटना में 12 सितंबर तक सर्वे के लिए ग्राम सभाएं हुईं। अब दूसरे चरण में वास्तविक सर्वे कराया जाएगा।

इसी तरह जिस रैयत के नाम पर जमाबंदी होगी, वही जमीन की बिक्री कर सकेगा, इसकी भी व्यवस्था की गई, हालांकि मामला अभी कोर्ट में रहने कारण लंबित है। उसपर 24 सितंबर को सुनवाई होनी है।

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