‘मौलिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए’, भड़काऊ कविता मामले में इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से राहत; FIR रद

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नई दिल्ली। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को आज (28 मार्च) सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।। कोर्ट ने कांग्रेस सांसद के खिलाफ गुजरात में दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कांग्रेस सांसद ने जो किया वो कोई अपराध नहीं है।

कथित तौर पर सौहार्द बिगाड़ने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस ने केस दर्ज किया था।  न्यायमूर्ति ओका ने फैसला सुनाते हुए कहा कि साहित्य, कला, व्यंग जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं; गरिमापूर्ण जीवन के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य है। पीठ ने कहा, “भले ही बड़ी संख्या में लोग किसी दूसरे के विचारों को नापसंद करते हों, लेकिन विचारों को व्यक्त करने के व्यक्ति के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और उसकी रक्षा की जानी चाहिए। विता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मनुष्य के जीवन को और अधिक सार्थक बनाते हैं।”कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है।

क्या है मामला?

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें वो हाथ हिलाते हुए चल रहे थे और उनपर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थी। इस 46 सेकेंड के वीडियो में बैकग्राउंड से एक गाने “ऐ खून के प्यासे बात सुनो” की आवाज भी आ रही थी।इसी गाने को लेकर गुजरात पुलिस ने कांग्रेस सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। गुजरात पुलिस का आरोप था कि, इस गाने के बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले थे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत मिली है।

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