‘जातियों में हेरफेर कर चुनाव में फायदा लेती है नीतीश सरकार’, प्रशांत किशोर ने लगाए गंभीर आरोप

पटना। जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि जातियों के वर्गीकरण में हेरफेर चुनावी लाभ के लिए किया गया।
जातियों का वर्गीकरण बदलना सरकार की राजनीति का हिस्सा रहा है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर द्वारा अनुशंसित एनेक्चर-1 में आज 23 नई जातियां जोड़ी गई हैं। एनेक्चर-2 की जातियों को एनेक्चर-1 में डालना या एनेक्चर-1 की जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देना नीतीश कुमार की राजनीति का हिस्सा रहा है।एनेक्चर में जातियों की सूची में राज्य सरकार बदलाव कर सकती है, लेकिन संविधान के अनुसार राज्य सरकार मात्र ओबीसी, अनुसूचित जाति या जनजाति की सूची में नाम प्रस्तावित कर सकती है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि दर्जा देना या नहीं देना, पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है। तांती-तंतवा समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की घोषणा कर दी गई, लेकिन केंद्र सरकार या न्यायालय के सामने गुहार नहीं लगाई।परिणाम यह हुआ कि तांती-तंतवा जाति फिर से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की सूची में सम्मिलित कर दी गई।
सोची-समझी रणनीति के तहत विपक्ष यह माहौल बना रहा कि वक्फ संशोधन मुस्लिमों के खिलाफ : चिराग
वहीं, दूसरी ओर पटना में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री सह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने गुरुवार को कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत विपक्ष की कई पार्टियां ऐसा माहौल बनाना चाहती हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ है।संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्हाेंने यह बात कही। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि यह विधेयक अभी संसद में चर्चा के लिए आया भी नहीं है, लेकिन आशंका में ही विपक्ष के नेताओं ने जनता के बीच गलत संदेश फैलाना शुरू कर दिया है।
बिहार विधानसभा के बाहर बुधवार को विपक्षी विधायकों का विरोध प्रदर्शन राजनीतिक उद्देश्य से किया गया है। बिहार में चुनाव आने वाला है, इसलिए अब उन्हें मुस्लिमों की याद आ रही है।
उन्होंने कहा कि मुझे मुस्लिम धार्मिक संगठनों से भी समस्या है जो उन लोगों से सवाल नहीं कर रहे हैं जो मुस्लिमों के शुभचिंतक होने का दिखावा कर रहे हैं। उन लोगों ने मुस्लिमों को लूटने और उनके वोट बैंक का शोषण करने के अलावा करने के अलावा कुछ नहीं किया।