CBI ने Visa Power के खिलाफ 1964 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में केस किया दर्ज
नई दिल्ली। सीबीआई ने 1,964 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में वीजा पावर और उसके तत्कालीन अध्यक्ष विशंभर सरन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एजेंसी की कार्रवाई पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत पर शुरू की गई थी, जो 14 ऋणदाताओं के संघ के सदस्यों में से एक है, जिसने 1,964 करोड़ रुपये के सावधि ऋण स्वीकृत किए हैं। बता दें पीएनबी कंसोर्टियम का अग्रणी बैंक था और उसने 394 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया था।
थर्मल पावर परियोजना के लिए बैंक से किया था संपर्क
बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी और आरोपी अधिकारियों सरन और निदेशकों विकास अग्रवाल और सुब्रतो त्रिवेदी, दोनों को FIR में आरोपी के रूप में नामित किया गया है। जिन्होंने ने 1,200 की उत्पादन क्षमता के साथ कोयला आधारित थर्मल पावर परियोजना के विकास के लिए ऋण मांगने के लिए बैंक से संपर्क किया था।
“ऐसा पता चला है कि आरोपी व्यक्तियों ने मिलीभगत करके और एक-दूसरे के साथ आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाते हुए खुद को गलत लाभ पहुंचाया और एनपीए की तारीख से ब्याज बकाया के अलावा बैंकों को 1,964 करोड़ रुपये का गलत नुकसान पहुंचाया।”
गौरतलब है कि परियोजना को 600 मेगावाट के दो चरणों में क्रियान्वित किया गया था और इसे ऋणदाताओं के संघ के माध्यम से वित्तपोषित किया जाना था। खाते को 2015-16 के बीच बैंकों द्वारा गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था क्योंकि परियोजना प्रवर्तकों द्वारा अपना संबंधित हिस्सा लाने में विफलता, कोयला लिंकेज की समाप्ति, बिजली खरीद समझौते की समाप्ति और देरी जैसे मील के पत्थर हासिल करने में विफल रही थी।
भारतीय दंड संहिता के प्राविधानों के तहत मामला हुआ दर्ज
पणब की शिकायत में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि आरोपी व्यक्तियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ साजिश रची और पैसे निकालकर उन्हें धोखा देने के इरादे से भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्राविधानों के तहत विभिन्न अपराध किए।”